
हाउस रेंट अलाउंस-HRA सैलरी पाने वाले कर्मचारियों की सैलरी स्लिप का एक अहम हिस्सा होता है। यह अलाउंस खास तौर पर उन कर्मचारियों के लिए होता है जो किराए के घर में रहते हैं और उसके एवज में हर महीने एक तय रकम मकान मालिक को देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आप पारंपरिक तरीके से किराया चुकाए बिना भी HRA पर टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं? यह न केवल इनकम टैक्स के नियमों के अंतर्गत वैध है, बल्कि अगर आप कुछ खास शर्तों को पूरा करते हैं तो इसका लाभ उठाना पूरी तरह संभव है।
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अगर आप एक सैलरीड कर्मचारी हैं और HRA का लाभ ले रहे हैं, तो यह आपके लिए टैक्स सेविंग का बड़ा अवसर हो सकता है। खासतौर पर अगर आप अपने माता-पिता को किराया दे रहे हैं, तो आप बिना पारंपरिक किराएदारी के भी टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं, बशर्ते सही दस्तावेज़ीकरण और नियमों का पालन किया जाए। इसलिए टैक्स प्लानिंग के दौरान इन विकल्पों पर भी विचार जरूर करें।
क्या है HRA और इनकम टैक्स में इसकी अहमियत?
इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 10(13A) के तहत, जो कर्मचारी अपनी कंपनी से हाउस रेंट अलाउंस प्राप्त करते हैं, उन्हें टैक्स में छूट मिलती है। यह छूट कुल टैक्सेबल इनकम को घटा देती है जिससे आपकी टैक्स देनदारी कम हो जाती है।
HRA टैक्स छूट का लाभ तभी मिलता है जब:
- कर्मचारी को HRA प्राप्त हो रहा हो,
- वह किराए के मकान में रह रहा हो,
- और वह किराया वास्तविक रूप से चुका रहा हो।
यदि आप अपने खुद के घर में रहते हैं तो आप इस टैक्स छूट का लाभ नहीं ले सकते। साथ ही, यह छूट केवल सैलरीड कर्मचारियों को मिलती है, सेल्फ-एंप्लॉयड लोगों को नहीं। हालांकि, वे सेक्शन 80GG के तहत कुछ शर्तों के साथ टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं।
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बिना किराया दिए कैसे क्लेम कर सकते हैं HRA?
अब बात करते हैं उस विशेष स्थिति की जो आम तौर पर लोगों को पता नहीं होती। अगर आप अपने माता-पिता के घर में रहते हैं और उन्हें किराया देते हैं, तो आप HRA पर टैक्स छूट क्लेम कर सकते हैं। जी हां, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इस व्यवस्था को वैध मानता है, लेकिन इसके लिए कुछ जरूरी शर्तों का पालन करना अनिवार्य है।
आपको करना होगा:
- अपने माता-पिता के नाम किरायानामा (rent agreement) तैयार करना,
- हर महीने उन्हें किराया ट्रांसफर करना, और
- उसके बदले रेंट रसीद लेना।
यह जरूरी नहीं कि यह किराया नकद में दिया जाए। बेहतर यही है कि आप बैंक ट्रांसफर करें ताकि उसका रिकॉर्ड मौजूद रहे। इससे इनकम टैक्स विभाग को दिखाया जा सकता है कि आपने वास्तव में किराया अदा किया है।
ध्यान दें, अगर आप अपने पति या पत्नी को किराया दे रहे हैं, तो आमतौर पर टैक्स विभाग इस व्यवस्था को मान्यता नहीं देता, क्योंकि पति-पत्नी की आय और व्यय को एक इकाई के रूप में देखा जाता है।
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किन शर्तों के तहत मिलती है टैक्स छूट?
HRA छूट की गणना करते समय तीन बिंदुओं में से जो भी न्यूनतम राशि होगी, उसी पर टैक्स छूट मिलेगी:
- आपको मिलने वाला HRA,
- आपने जितना किराया दिया है, उसमें से आपकी बेसिक सैलरी का 10% घटा दिया जाए,
- अगर आप मेट्रो शहर में रहते हैं तो आपकी बेसिक सैलरी का 50%, और अगर नॉन-मेट्रो में हैं तो 40%।
इन तीनों में से जो भी राशि सबसे कम होगी, वही आपके HRA छूट की गणना में मानी जाएगी।
क्या डॉक्यूमेंटेशन जरूरी है?
बिलकुल, रेंट रसीद, रेंट एग्रीमेंट और बैंक ट्रांजेक्शन की जानकारी आपको टैक्स फाइलिंग के समय संलग्न करनी चाहिए। यदि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपसे सबूत मांगता है, तो ये दस्तावेज़ आपकी मदद करेंगे।
सेल्फ-एंप्लॉयड व्यक्ति के लिए क्या विकल्प है?
जिन लोगों को HRA नहीं मिलता, जैसे कि फ्रीलांसर, व्यापारी या प्रोफेशनल्स, वे सेक्शन 80GG के तहत टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं। इसके लिए भी कुछ शर्तें होती हैं:
- आवेदक, उसकी पत्नी या नाबालिग बच्चे के नाम कोई घर नहीं होना चाहिए,
- आवेदक खुद भी किसी घर का मालिक नहीं होना चाहिए, जिसे वो ऑफिस या अन्य कार्य में इस्तेमाल करता हो।
इस सेक्शन के तहत अधिकतम ₹60,000 प्रति वर्ष (₹5,000 प्रति माह) की छूट का लाभ मिल सकता है।