
वक्फ कानून (Waqf Law) को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में बड़ा बयान दिया है। सरकार ने स्पष्ट किया कि संसद द्वारा बनाए गए कानून को सुप्रीम कोर्ट संशोधित नहीं कर सकता। केंद्र का यह रुख वक्फ अधिनियम, 1995 (Waqf Act, 1995) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सामने आया। इस मुद्दे ने कानूनी और राजनीतिक दोनों मोर्चों पर नई बहस को जन्म दिया है।
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वक्फ अधिनियम मुस्लिम धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन के लिए बनाया गया था। इसके तहत वक्फ बोर्ड (Waqf Board) गठित किए गए हैं जो मस्जिदों, दरगाहों, कब्रिस्तानों जैसी धार्मिक संपत्तियों का प्रबंधन करते हैं। अब, इस कानून की वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सवाल उठे हैं।
संसद की सर्वोच्चता पर केंद्र का जोर
सरकार ने अदालत में कहा कि संसद (Parliament) ने वक्फ अधिनियम बनाया है और इसे केवल संसद ही संशोधित कर सकती है। अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी (Attorney General R. Venkataramani) ने अदालत को बताया कि न्यायपालिका कानूनों की समीक्षा कर सकती है, लेकिन कानून बनाने या बदलने का अधिकार केवल विधायिका (Legislature) के पास है।
उन्होंने कहा कि वक्फ अधिनियम के प्रावधान संविधान के अनुरूप हैं और इसे संविधान के अनुच्छेद 25 (Article 25) और अनुच्छेद 26 (Article 26) के तहत धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है।
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वक्फ अधिनियम पर उठते सवाल
वक्फ अधिनियम, 1995 के तहत देशभर में लाखों संपत्तियों को वक्फ संपत्ति घोषित किया गया है। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि इस कानून के चलते निजी संपत्तियों को भी वक्फ घोषित किया गया, जिससे अन्य समुदायों के संपत्ति अधिकार प्रभावित हो रहे हैं।
याचिका में कहा गया कि वक्फ अधिनियम “धर्मनिरपेक्षता” (Secularism) के सिद्धांत के विरुद्ध है और इससे गैर-मुस्लिम समुदायों के साथ भेदभाव होता है। अदालत में सवाल उठा कि क्या सरकार को केवल एक धार्मिक समुदाय के लिए इस तरह का विशेष कानून बनाने का अधिकार है?
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का अगला चरण
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के इस रुख को रिकॉर्ड में लिया है और मामले की अगली सुनवाई के लिए तारीख निर्धारित की है। अदालत ने कहा कि वह याचिकाओं पर गंभीरता से विचार करेगी और तय करेगी कि वक्फ अधिनियम की संवैधानिक वैधता पर क्या निर्णय लिया जाए।
वहीं केंद्र ने यह भी कहा कि अदालतों के पास अधिकार है कि वे किसी कानून के प्रावधानों की समीक्षा करें, लेकिन कानून को रद्द करना या बदलना संसद का ही विशेषाधिकार है।
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वक्फ संपत्तियों का देशव्यापी प्रभाव
भारत में वक्फ संपत्तियों का विशाल नेटवर्क है। वक्फ बोर्डों के अधीन लाखों एकड़ भूमि है, जिसका मूल्य हजारों करोड़ रुपये में है। इन संपत्तियों के प्रबंधन को लेकर कई बार विवाद भी सामने आते रहे हैं।
कई मामलों में वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जों, भ्रष्टाचार और दुरुपयोग के आरोप लगे हैं। इसी पृष्ठभूमि में वक्फ अधिनियम को चुनौती दी गई है और अब इस पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार किया जा रहा है।
वक्फ कानून और धार्मिक स्वतंत्रता
केंद्र ने तर्क दिया कि वक्फ कानून धार्मिक स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकारों के अनुरूप है। अनुच्छेद 25 प्रत्येक नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है, जबकि अनुच्छेद 26 धार्मिक संस्थाओं को अपनी धार्मिक गतिविधियों का प्रबंधन करने का अधिकार प्रदान करता है।
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सरकार ने कहा कि वक्फ अधिनियम इन संवैधानिक प्रावधानों के दायरे में ही है और इसका उद्देश्य मुस्लिम समुदाय की धार्मिक संपत्तियों का संरक्षण और प्रबंधन सुनिश्चित करना है।