सुप्रीम कोर्ट का सरकार को बड़ा झटका, अनुसूचित जाति SC List से इन जातियों को हटाने का आदेश SC Exclusion Order

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार के फैसले को रद्द करते हुए तांती-ततवां जाति को अनुसूचित जाति सूची से बाहर कर दिया है। जानें कैसे इस फैसले से सरकारी नौकरियों और आरक्षण व्यवस्था में आएंगे बड़े बदलाव

Published On:
सुप्रीम कोर्ट का सरकार को बड़ा झटका, अनुसूचित जाति SC List से इन जातियों को हटाने का आदेश SC Exclusion Order
सुप्रीम कोर्ट का सरकार को बड़ा झटका, अनुसूचित जाति SC List से इन जातियों को हटाने का आदेश SC Exclusion Order

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में तांती-ततवां जाति को अनुसूचित जाति (एससी) की सूची से बाहर करने का अहम निर्णय सुनाया है। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने सोमवार को यह फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार के 2015 के उस अधिसूचना को रद्द कर दिया है, जिसके माध्यम से तांती-ततवां को अनुसूचित जाति में शामिल किया गया था। यह फैसला राज्य सरकार और बिहार पिछड़ा वर्ग आयोग की अनुशंसा को खारिज करते हुए आया है।

यह भी देखें: बच्चों के बैग का वजन कितना होना चाहिए, जान लो क्लास वाइज सही लिमिट School Bag Rules India

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तांती-ततवां जाति के लोगों को अनुसूचित जाति का दर्जा देना संविधान के अनुच्छेदों का उल्लंघन है, क्योंकि अनुसूचित जाति सूची में किसी भी बदलाव का अधिकार केवल संसद को है, न कि राज्य सरकार को। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार की ओर से तांती-ततवां जाति को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करने का फैसला संविधानिक ढांचे के खिलाफ है।

राज्य सरकार का निर्णय रद्द

बिहार सरकार ने 2015 में बिहार पिछड़ा वर्ग आयोग की अनुशंसा के आधार पर तांती-ततवां जाति को पान-स्वांसी का पर्याय मानते हुए अनुसूचित जाति की सूची में शामिल किया था। इस निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में डॉ. भीमराव अंबेडकर विचार मंच और आशीष रजक ने याचिका दायर की थी। पटना हाई कोर्ट ने 2017 में इस निर्णय को सही ठहराया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया।

यह भी देखें: Land Records India: अब जमीन के कागजों में दर्ज होंगे नाम, पता, आधार और मोबाइल नंबर – जानें नया नियम

संसद का विशेषाधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि अनुसूचित जाति की सूची में किसी भी जाति को शामिल करने या हटाने का अधिकार केवल संसद के पास है। राज्य सरकार या किसी आयोग को यह अधिकार नहीं है कि वह अनुसूचित जाति की सूची में बदलाव कर सके। कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की अनुशंसा राज्य सरकार के लिए बाध्यकारी नहीं है और आयोग को संविधानिक व्यवस्था में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।

कर्मचारियों पर नहीं होगी दंडात्मक कार्रवाई

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस फैसले का तांती-ततवां जाति के उन सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा जो अनुसूचित जाति के आधार पर नौकरी प्राप्त कर चुके हैं। कोर्ट ने कहा कि ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की अनुशंसा नहीं की जाएगी, लेकिन उन्हें उनकी पूर्व की आरक्षण सूची यानी अति पिछड़ी जाति के कोटे में स्थानांतरित किया जाए। इसके बाद जो रिक्तियां बनेंगी, उन्हें अनुसूचित जाति के योग्य उम्मीदवारों से भरा जाएगा।

यह भी देखें: Supreme Court Verdict: बेटियों को नहीं मिलेगा पिता की संपत्ति में हिस्सा, कोर्ट ने सुनाया फैसला

2015 की अधिसूचना रद्द

सुप्रीम कोर्ट ने 2015 की उस अधिसूचना को भी रद्द कर दिया है, जिसके माध्यम से तांती-ततवां जाति को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल किया गया था। कोर्ट ने राज्य सरकार की नीयत पर भी सवाल उठाया और इसे संविधान के विरुद्ध बताया।

Follow Us On

Leave a Comment