दुनिया के वो पहाड़ जहां चढ़ाई करना मना है – वजह जानकर हैरान रह जाएंगे

दुनिया में कुछ पर्वत अपनी ऊंचाई या कठिनाई के कारण नहीं, बल्कि धार्मिक आस्थाओं और सांस्कृतिक मान्यताओं के चलते पर्वतारोहियों के लिए वर्जित हैं। माउंट कैलाश, गंगखार पुएनसुम, कंचनजंघा और माछापुच्छरे ऐसे ही रहस्यमयी पर्वत हैं, जिन पर चढ़ने की अनुमति नहीं दी जाती। आइए जानें इनके पीछे छिपी अनूठी मान्यताएं और प्रतिबंधों के कारण।

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दुनिया के वो पहाड़ जहां चढ़ाई करना मना है – वजह जानकर हैरान रह जाएंगे
Mysterious Mountain

जब भी पर्वतारोहण की बात होती है तो माउंट एवरेस्ट या K2 जैसे शिखरों का जिक्र आता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया में कुछ पर्वत ऐसे भी हैं, जिन पर चढ़ने की अनुमति नहीं दी जाती? जी हां, कुछ पर्वत धार्मिक आस्था, प्राकृतिक खतरों और स्थानीय कानूनों के चलते पर्वतारोहियों के लिए वर्जित हैं। इस लेख में हम जानेंगे माउंट कैलाश, गंगखार पुएनसुम, कंचनजंघा और माछापुच्छरे जैसे उन पवित्र और रहस्यमयी पर्वतों के बारे में, जिन पर चढ़ना मना है।

माउंट कैलाश

माउंट कैलाश सिर्फ हिंदू धर्म ही नहीं, बल्कि बौद्ध, जैन और बोन धर्म के अनुयायियों के लिए भी अत्यंत पवित्र स्थल है। हर साल हजारों श्रद्धालु माउंट कैलाश की परिक्रमा करने के लिए तिब्बत की यात्रा करते हैं, लेकिन इस पर्वत की चोटी पर चढ़ने की अनुमति नहीं है। मान्यता है कि यह स्थान भगवान शिव का निवास है और इसे एक अलौकिक शक्ति का केंद्र माना जाता है। पर्वतारोहण विशेषज्ञों के अनुसार भी माउंट कैलाश का भूगोल इतना कठिन और अस्थिर है कि चढ़ाई करना असंभव के समान है। यही कारण है कि यहां किसी भी प्रकार की पर्वतारोहण गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध है।

गंगखार पुएनसुम

भूटान में स्थित गंगखार पुएनसुम दुनिया का सबसे ऊंचा unclimbed पर्वत है, जिसकी ऊंचाई लगभग 7,570 मीटर है। भूटान सरकार ने 6,000 मीटर से ऊंचे सभी पर्वतों पर चढ़ाई पर 1994 से ही रोक लगा दी है। स्थानीय समुदायों की धार्मिक आस्थाओं और पर्यावरण संरक्षण के मद्देनजर यह निर्णय लिया गया था। गंगखार पुएनसुम को भी पवित्र माना जाता है, और ऐसा विश्वास है कि यहां देवताओं और आत्माओं का वास है। इसलिए यहां आज तक किसी भी पर्वतारोही को चढ़ने की अनुमति नहीं मिली है।

कंचनजंघा

भारत के सिक्किम राज्य में स्थित कंचनजंघा पर्वत को स्थानीय लोग देवताओं का घर मानते हैं। 8,586 मीटर ऊंचा यह पर्वत दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी है। पहले यहां पर्वतारोहण की अनुमति थी, लेकिन स्थानीय धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए सिक्किम सरकार ने कंचनजंघा की चोटी पर चढ़ने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया। अब पर्वतारोही केवल सीमित ऊंचाई तक जा सकते हैं, लेकिन शिखर तक पहुंचना निषिद्ध है। कंचनजंघा के प्रति यह श्रद्धा और सम्मान आज भी अटूट है।

माछापुच्छरे

नेपाल के अन्नपूर्णा क्षेत्र में स्थित माछापुच्छरे पर्वत, जो अपनी मछली की पूंछ जैसी आकृति के लिए प्रसिद्ध है, को हिंदू धर्म में भगवान शिव के निवास स्थान के रूप में पूजा जाता है। गुरुंग समुदाय भी इस पर्वत को अत्यंत पवित्र मानता है। नेपाल सरकार ने 1950 के दशक में माछापुच्छरे पर पर्वतारोहण अभियानों पर प्रतिबंध लगा दिया। तब से लेकर आज तक इस पर्वत की चोटी पर किसी ने भी आधिकारिक रूप से कदम नहीं रखा है। माछापुच्छरे की शांत गरिमा आज भी बनी हुई है।

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