बैंक डूब भी जाए तो घबराएं नहीं! इस तरह मिलेंगे आपके ₹5 लाख तक पैसा वापस

बैंक डूब भी जाए तो घबराएं नहीं! इस तरह मिलेंगे आपके ₹5 लाख तक पैसा वापस
बैंक डूब भी जाए तो घबराएं नहीं! इस तरह मिलेंगे आपके ₹5 लाख तक पैसा वापस

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक की बिगड़ती वित्तीय स्थिति के चलते 13 फरवरी से जमाधारकों द्वारा पैसे की निकासी पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। यह प्रतिबंध आरबीआई के अगले आदेश तक या छह महीने तक जारी रह सकता है। हालांकि, आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि यह प्रतिबंध स्थायी नहीं है और बैंक की स्थिति में सुधार होने पर इसे हटाया जा सकता है।

न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर लगे प्रतिबंधों से जमाधारकों के लिए मुश्किलें जरूर बढ़ी हैं, लेकिन डीआईसीजीसी बीमा कवर के तहत 5 लाख रुपये तक की जमा राशि सुरक्षित है। जमाधारकों को आरबीआई के अगले निर्देशों तक इंतजार करना होगा। वित्तीय विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि भविष्य में जोखिम से बचने के लिए हमेशा बड़े और विश्वसनीय बैंकों में ही खाता खोलें।

डीआईसीजीसी बीमा कवर: 5 लाख रुपये तक की जमा राशि सुरक्षित

भारतीय बैंकों में जमाधारकों की रकम डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) के तहत सुरक्षित रहती है। डीआईसीजीसी प्रति ग्राहक 5 लाख रुपये तक का बीमा कवर प्रदान करता है। यदि किसी जमाकर्ता की जमा राशि 5 लाख रुपये या उससे कम है, तो उसे पूरी राशि वापस मिलेगी। वहीं, अगर किसी का जमा 5 लाख रुपये से अधिक है, तो भी अधिकतम 5 लाख रुपये ही मिलेंगे। यदि किसी जमाकर्ता के कई खाते एक ही बैंक में हैं, तो कुल मिलाकर 5 लाख रुपये तक की ही गारंटी होगी।

न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर क्यों लगे प्रतिबंध?

आरबीआई तब किसी बैंक पर प्रतिबंध लगाता है, जब बैंक की वित्तीय स्थिति खराब होती है या प्रबंधन में कोई गड़बड़ी पाई जाती है। न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में वित्तीय अनियमितताओं और घोटाले की जानकारी मिलने के बाद आरबीआई ने त्वरित कार्रवाई करते हुए बैंक के सभी प्रशासनिक अधिकार अपने हाथ में ले लिए। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के एक पूर्व अधिकारी को बैंक का प्रभार सौंपा गया है।

बड़े और प्रतिष्ठित बैंकों में खाता खोलना क्यों जरूरी?

भारत में छोटे सहकारी बैंक और क्रेडिट सोसाइटी अक्सर कमजोर गवर्नेंस और लचर नियमों के कारण वित्तीय संकट में आ जाते हैं। ये संस्थान अपने करीबी लोगों या कंपनियों को जरूरत से ज्यादा कर्ज देते हैं, जो बाद में एनपीए (Non-Performing Assets) बन जाता है। इसलिए, विशेषज्ञ हमेशा सरकारी या निजी क्षेत्र के बड़े और प्रतिष्ठित बैंकों में खाता खोलने की सलाह देते हैं। इन बैंकों में मजबूत गवर्नेंस, सख्त नियम-कायदे और अनुभवी प्रबंधन होता है, जिससे ग्राहकों का पैसा अधिक सुरक्षित रहता है।

क्या बैंक का लाइसेंस रद्द हो गया है?

आरबीआई के इस निर्देश को बैंकिंग लाइसेंस के रद्दीकरण या बैंक बंद करने के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक प्रतिबंधों के साथ बैंकिंग कार्य जारी रखेगा। आरबीआई समय-समय पर बदलती परिस्थितियों के अनुसार इन निर्देशों में संशोधन कर सकता है। बैंक की स्थिति में सुधार होने पर जमाधारकों को कुछ सीमित राशि निकालने की अनुमति भी दी जा सकती है।

डीआईसीजीसी बीमा राशि कब मिलेगी?

न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर अभी केवल प्रतिबंध लगाया गया है, इसे मोरेटोरियम (Moratorium) के तहत नहीं रखा गया है। इसलिए, रकम निकासी को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। यदि कोई बैंक मोरेटोरियम में जाता है, तो ग्राहकों को 90 दिनों के भीतर 5 लाख रुपये तक की बीमित राशि मिलती है। यह 90 दिन दो हिस्सों में बंटा होता है: पहले 45 दिनों में बैंक सभी दावेदारों की जानकारी डीआईसीजीसी को देता है और अगले 45 दिनों में डीआईसीजीसी पात्र जमाकर्ताओं को भुगतान करती है। यदि बैंक परिसमापन (Liquidation) में जाता है, तो दावा सूची मिलने के दो महीने के भीतर लिक्विडेटर भुगतान करता है। यदि बैंक का विलय (Merger) होता है, तो डीआईसीजीसी दो महीने के भीतर बीमित राशि का भुगतान करता है।

डीआईसीजीसी की वेबसाइट पर मिलेगी पूरी जानकारी

जमाधारक अपने बैंक अधिकारियों से संपर्क कर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। डीआईसीजीसी की आधिकारिक वेबसाइट पर भी सभी विवरण उपलब्ध हैं। पैसा निकालने के लिए बैंक सत्यापन करता है और सभी प्रक्रिया सही पाए जाने पर ही राशि लौटाई जाती है।

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