
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़े भू-राजनीतिक तनाव और आर्थिक अनिश्चितता के बीच Gold Demand in India पर गहरा असर देखने को मिल रहा है। बीते दिनों सोने की कीमतों ने 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम का रिकॉर्ड स्तर पार कर लिया, जिसका सीधा असर देश में सोने की मांग पर पड़ा है।
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Gold Demand in India पर वैश्विक परिस्थितियों, कीमतों में भारी उछाल और उपभोक्ताओं की सोच का संयुक्त प्रभाव पड़ रहा है। जहां एक ओर कीमतें आम लोगों की पहुंच से बाहर होती जा रही हैं, वहीं दूसरी ओर निवेश और पारंपरिक महत्व की वजह से सोने की मांग में स्थायित्व भी देखने को मिल रहा है। आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि कीमतों में संभावित गिरावट उपभोक्ताओं की रुचि को किस हद तक पुनः आकर्षित कर पाती है।
अक्षय तृतीया पर नहीं दिखा उत्साह, कीमत गिरकर 94,361 रुपये तक आई
अक्षय तृतीया जैसे बड़े त्योहार पर भी इस बार लोगों का उत्साह ठंडा नजर आया। पिछले कुछ हफ्तों में आई तेजी के चलते बाजार में पहले से ही यह अनुमान था कि इस बार खरीदारी धीमी रह सकती है। नतीजतन, कीमतों में गिरावट देखने को मिली और सोने की दर करीब 1,700 रुपये लुढ़क कर 94,361 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ गई।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट: 15% घट गई सोने की मांग
World Gold Council (WGC) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी-मार्च 2025 की तिमाही में भारत में Gold Demand में 15% की गिरावट दर्ज की गई और यह घटकर 118.1 टन रह गई। हालांकि, कीमतों में आई तेजी के कारण कुल मूल्य में 22% की वृद्धि हुई और यह 94,030 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
जनवरी से अप्रैल तक 25% बढ़ी कीमतें
जनवरी 2025 से अप्रैल 2025 तक सोने की कीमतों में लगभग 25% की वृद्धि दर्ज की गई। यही वजह है कि 10 ग्राम सोने की कीमत एक लाख रुपये के करीब पहुंच गई है, जिससे आम लोगों की Purchasing Power पर नकारात्मक असर पड़ा है।
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सालभर में 700-800 टन रहने का अनुमान
WGC का अनुमान है कि वर्ष 2025 में भारत में सोने की कुल मांग 700 से 800 टन के बीच रह सकती है। हालांकि, महंगी कीमतों के कारण आम आदमी के लिए सोना खरीदना चुनौतीपूर्ण हो गया है, लेकिन धार्मिक और पारंपरिक महत्व के चलते Akshaya Tritiya, विवाह आदि अवसरों पर खरीदारी का चलन बरकरार है।
पारंपरिक महत्व बना रहा है मांग की वजह
WGC इंडिया के सीईओ सचिन जैन का कहना है कि “कीमतें भले ही ऊंची हों, लेकिन भारत में सोने का पारंपरिक महत्व आज भी बना हुआ है। यही कारण है कि लोग अब भी छोटे वजन के गहनों या सिक्कों में निवेश कर रहे हैं।”
गहनों की मांग में 25% की गिरावट
जनवरी-मार्च 2025 के दौरान ज्वेलरी डिमांड में भी बड़ी गिरावट देखने को मिली। यह घटकर 71.4 टन रह गई, जो 2020 के बाद सबसे कम है। इसके बावजूद, इस श्रेणी की कुल कीमत में 3% की बढ़त दर्ज की गई।
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निवेश के रूप में सोना अब भी मजबूत
बाजार में अस्थिरता और भू-राजनीतिक घटनाओं के चलते सोने को आज भी एक Safe Investment माना जा रहा है। यही वजह है कि इस तिमाही में निवेश के लिए सोने की मांग 7% बढ़कर 46.7 टन हो गई, जो पिछले वर्ष 43.6 टन थी।
सिल्लियों और सिक्कों की मांग में तेज़ उछाल
Gold Coins & Bars की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। जनवरी-मार्च में कुल सोने का आयात 8% बढ़कर 167.4 टन हो गया। वहीं, ऊंची कीमतों की वजह से लोगों ने पुराने सोने की बिक्री में सावधानी बरती, जिससे Recycling 32% घटकर 26 टन रह गई।
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वैश्विक स्तर पर भी बढ़ी मांग
दुनिया भर में जनवरी-मार्च 2025 के बीच Global Gold Demand 1% बढ़कर 1,206 टन हो गई। यह 2019 के बाद पहली तिमाही में सबसे ज्यादा है। इससे यह स्पष्ट होता है कि वैश्विक परिदृश्य में सोने का महत्व और निवेश मूल्य बढ़ता जा रहा है, भले ही भारत में मांग में गिरावट आई हो।