
जालंधर (चोपड़ा): जालंधर RTO (Regional Transport Office) ने ट्रैफिक चालानों (Traffic Challans) के निपटारे को लेकर एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक निर्णय लेते हुए पुराने लंबित चालानों को डिस्ट्रिक्ट ज्यूडिशियल कोर्ट को सौंपने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह फैसला कार्यालय में बढ़ती भीड़, भ्रष्टाचार की शिकायतों और एजेंटों की सक्रियता को देखते हुए लिया गया है। इस बदलाव का लक्ष्य सिस्टम में पारदर्शिता (Transparency) लाना और आम नागरिक को राहत पहुंचाना है।
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एक सप्ताह में 22,300 चालान कोर्ट को सौंपे
ए.आर.टी.ओ. विशाल गोयल ने जानकारी दी कि आर.टी.ओ. बलबीर राज सिंह के नेतृत्व में बीते एक सप्ताह में लगभग 22,300 ट्रैफिक चालानों को जब्त दस्तावेजों समेत जिला अदालत को सौंप दिया गया है। अब यदि किसी वाहन चालक को अपना पेंडिंग चालान (Pending Challan) निपटाना है, तो उसे सीधे कोर्ट से संपर्क करना होगा, न कि आर.टी.ओ. कार्यालय से।
RTO कार्यालय पर क्यों पड़ा यह बदलाव जरूरी?
आरटीओ अधिकारियों के अनुसार, विभाग में पिछले कई वर्षों से जमा चालान प्रशासन के लिए बड़ी परेशानी बन चुके थे। इन चालानों को संभालना, उनका रिकॉर्ड रखना और भुगतान की प्रक्रिया पूरी करना कर्मचारियों के लिए चुनौतीपूर्ण बन गया था। इससे न सिर्फ अन्य प्रशासनिक कार्य प्रभावित हो रहे थे, बल्कि लोगों को भी घंटों इंतजार करना पड़ता था।
विशेष रूप से ऑफलाइन चालानों (Offline Challans) की प्रक्रिया में देरी के कारण लोगों की समस्याएं बढ़ रही थीं और इसी स्थिति का लाभ एजेंट और बिचौलिए उठाते थे। वे आम नागरिकों को भ्रमित कर उनसे अवैध धन वसूलते थे और चालान निपटाने का दावा करते थे।
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एजेंटों की भूमिका पर लगेगा ब्रेक
वर्षों से लगातार यह शिकायतें मिलती रही हैं कि चालान भुगतने की प्रक्रिया में कई एजेंट सक्रिय रहते हैं जो आम नागरिकों को गुमराह कर उनसे भारी-भरकम फीस लेते हैं। अब जब चालान सीधे अदालत के अधीन होंगे, तो ऐसे एजेंट्स और बिचौलियों की भूमिका स्वतः समाप्त हो जाएगी। इससे न केवल आम लोगों को राहत मिलेगी, बल्कि प्रशासनिक ईमानदारी भी सुनिश्चित होगी।
RTO अब केवल ऑनलाइन चालानों का करेगा निपटारा
ए.आर.टी.ओ. विशाल गोयल ने स्पष्ट किया है कि अब RTO कार्यालय केवल ऑनलाइन ट्रैफिक चालानों के निपटारे की प्रक्रिया को देखेगा। जबकि सभी प्रकार के ऑफलाइन, पुराने, नए या विवादित चालान जिला अदालत के अधीन भेजे जाएंगे। इससे प्रक्रिया में स्पष्टता आएगी और नागरिकों को यह तय करने में आसानी होगी कि उन्हें किस कार्यालय से संपर्क करना है।
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पुलिस जारी रखेगी चालान, RTO करेगा फॉरवर्ड
ट्रैफिक पुलिस की भूमिका में कोई बदलाव नहीं किया गया है। पुलिस पहले की तरह चालान काटेगी और उन्हें RTO कार्यालय को भेजेगी। लेकिन अब आरटीओ उन्हें अपने पास लंबित रखने के बजाय रोजाना के आधार पर अदालत को फॉरवर्ड कर देगा। इससे पेंडिंग चालानों की संख्या नियंत्रित रहेगी और कानूनी प्रक्रिया सुचारू रूप से आगे बढ़ेगी।
पारदर्शिता और कार्यक्षमता में सुधार की उम्मीद
इस निर्णय से उम्मीद की जा रही है कि सिस्टम में ट्रांसपेरेंसी (Transparency) बढ़ेगी और चालान भुगतने की दर में सुधार आएगा। पहले अक्सर ऐसा देखा गया कि लोग चालान निपटाने में जानबूझकर देरी करते थे या उसे एजेंट्स के भरोसे छोड़ देते थे। अदालत के अधीन यह प्रक्रिया अब कानूनी रूप से अधिक प्रभावशाली और बाध्यकारी हो जाएगी।
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आम नागरिक को होगा सीधा लाभ
इस बदलाव का सबसे बड़ा फायदा आम नागरिक को होगा। जहां पहले उन्हें आरटीओ के चक्कर काटने पड़ते थे और एजेंट्स के चंगुल में फंसते थे, अब उन्हें एक स्पष्ट और सरकारी न्यायिक प्रक्रिया का सामना करना होगा, जिसमें भ्रष्टाचार की कोई गुंजाइश नहीं होगी।