
मध्य प्रदेश (MP) में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के अंतर्गत कार्यरत संविदा स्वास्थ्य अधिकारी और कर्मचारी Retirement Age सहित अन्य 8 सूत्रीय मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। 1 अप्रैल 2025 से चरणबद्ध आंदोलन शुरू करने के बाद अब ये 32,000 कर्मचारी 24 अप्रैल से पूरी तरह से काम छोड़कर हड़ताल पर हैं। उनकी प्रमुख मांगों में संविदा नीति 2025 में संशोधन, सेवा निवृत्ति की आयु में की गई कटौती को वापस लेना और नियमितिकरण शामिल हैं।
संविदा नीति में बदलाव और रिटायरमेंट एज (Retirement Age) पर विवाद
संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की प्रमुख आपत्ति सेवानिवृत्ति की आयु (Retirement Age) को लेकर है, जिसे 65 वर्ष से घटाकर 62 वर्ष कर दिया गया है। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि यह निर्णय न केवल गैर-तार्किक है, बल्कि हजारों कर्मचारियों के भविष्य को भी संकट में डाल रहा है।
संविदा कर्मचारी संघ का आरोप है कि सरकार द्वारा वर्ष 2023 में घोषित संविदा नीति को पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है। इसके चलते प्रदेश भर में नाराजगी है और आंदोलन की चेतावनी पहले ही दी जा चुकी थी।
चरणबद्ध आंदोलन से अनिश्चितकालीन हड़ताल तक का सफर
एनएचएम संविदा कर्मचारियों ने 1 अप्रैल से आंदोलन की शुरुआत की थी। 16 अप्रैल को सभी कर्मचारियों ने एक दिन का सामूहिक अवकाश लेकर सरकार को चेतावनी दी, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस आश्वासन न मिलने पर अब अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान कर दिया गया है।
इस हड़ताल से प्रदेश के सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं।
8 सूत्रीय मांगें जिन पर अड़े हैं कर्मचारी
संविदा स्वास्थ्य अधिकारी कर्मचारी संघ ने जिन 8 प्रमुख मांगों को लेकर हड़ताल का ऐलान किया है, उनमें निम्नलिखित मुद्दे शामिल हैं:
- रिक्त पदों पर 50 प्रतिशत पदों को संविदा कर्मचारियों से भरने और उन्हें नियमित करने का प्रावधान लागू किया जाए।
- पहले दी जा रही ईएल (Earned Leave) और मेडिकल सुविधाओं को पुनः एकीकृत किया जाए।
- अनुबंध प्रणाली (Contract System) को पूरी तरह समाप्त किया जाए।
- अप्रेजल सिस्टम को हटाया जाए, जिससे कर्मचारियों को हर साल नए सिरे से मूल्यांकन से न गुजरना पड़े।
- सेवा निवृत्ति की आयु को 65 वर्ष से घटाकर 62 वर्ष करने का निर्णय वापस लिया जाए।
- एनपीएस (NPS), ग्रेच्युटी, स्वास्थ्य बीमा (Health Insurance) और डीए (Dearness Allowance) की सुविधा दी जाए।
- वेतन विसंगति (Pay Discrepancy) और समकक्षता के निर्धारण पर पुनर्विचार कर उचित संशोधन किया जाए।
- संविदा नीति 2023 को पूरी तरह लागू किया जाए।
राजनीतिक पृष्ठभूमि और कर्मचारियों की नाराजगी
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2023 के विधानसभा चुनावों से पहले संविदा कर्मचारियों को कई सुविधाएं देने की घोषणाएं की थीं। इनमें नियमितिकरण, सेवा शर्तों में सुधार और सामाजिक सुरक्षा की गारंटी शामिल थीं। कर्मचारियों का आरोप है कि नई सरकार ने इन घोषणाओं को अब तक लागू नहीं किया है, जिससे उनमें गहरा असंतोष है।
प्रशासनिक प्रतिक्रिया और आगे की राह
अब तक सरकार की ओर से इस हड़ताल पर कोई ठोस प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। हालांकि स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ रहे असर को देखते हुए उम्मीद है कि जल्द ही इस मसले पर उच्च स्तर पर विचार होगा।
स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार, सरकार इस हड़ताल को गंभीरता से ले रही है, लेकिन संविदा नीति में व्यापक बदलाव के लिए समय की आवश्यकता है।
वहीं, कर्मचारी संगठन साफ कर चुके हैं कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होतीं, वे काम पर वापस नहीं लौटेंगे।
प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं पर असर
संविदा कर्मचारियों की हड़ताल का सीधा असर जिला अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC), सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) सहित सभी सरकारी चिकित्सा संस्थानों में देखा जा रहा है। ओपीडी सेवाएं प्रभावित हैं, ग्रामीण इलाकों में टीकाकरण और मातृ-शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम ठप पड़ चुके हैं।
राज्य में पहले से ही डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की भारी कमी है, ऐसे में यह हड़ताल संकट को और गहरा बना सकती है।