
स्कूली बच्चों के बस्ते का वजन (School Bag Weight) पिछले तीन दशकों से शिक्षा प्रणाली में बहस का मुद्दा बना हुआ है। यह विषय पहली बार 1993 में तब चर्चा में आया, जब यशपाल कमिटी ने इस पर गंभीर चिंता जताई थी। कमिटी ने यह सुझाव दिया था कि बच्चों के शारीरिक विकास और मानसिक स्वास्थ्य को देखते हुए स्कूल बैग का बोझ कम किया जाए। समय-समय पर यह मुद्दा दोहराया जाता है, लेकिन समाधान की दिशा में ठोस कदम अब भी अपेक्षित हैं।
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स्कूलों में लॉकर की व्यवस्था का सुझाव
यशपाल कमिटी ने यह भी प्रस्ताव दिया था कि स्कूल की किताबें (School Textbooks) स्कूल की संपत्ति मानी जाएं और बच्चों को लॉकर (Locker System) दिए जाएं ताकि वे सारी किताबें घर न ले जाएं। इससे न केवल बस्ते का वजन कम होगा, बल्कि बच्चों पर अनावश्यक मानसिक दबाव भी नहीं पड़ेगा। हालांकि, यह व्यवस्था कुछ निजी स्कूलों में लागू हुई, लेकिन बड़े स्तर पर अब भी इसकी कमी महसूस होती है।
अंतरराष्ट्रीय मानक क्या कहते हैं
अंतरराष्ट्रीय मानकों (International Guidelines) के अनुसार, किसी भी स्कूली बच्चे के कंधे पर उसके शरीर के कुल वजन का 10 फीसदी से अधिक भार नहीं होना चाहिए। उदाहरण के लिए, अगर किसी बच्चे का वजन 20 किलोग्राम है, तो उसके बैग का वजन अधिकतम 2 किलोग्राम ही होना चाहिए। इससे अधिक वजन बच्चों की रीढ़ की हड्डी, कंधों और मानसिक स्थिति पर नकारात्मक असर डाल सकता है।
आदर्श स्थिति: कितना होना चाहिए स्कूल बैग का वजन
भारत में अक्सर यह देखने को मिलता है कि छोटे बच्चों को भी ढेर सारी किताबें और कॉपियाँ लानी पड़ती हैं। यह न केवल शारीरिक रूप से कष्टदायक है, बल्कि उनके सीखने की प्रक्रिया को भी प्रभावित करता है। शिक्षाविदों का मानना है कि बच्चों को जितना आवश्यक हो, उतना ही सामग्री ले जानी चाहिए।
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केंद्रीय विद्यालय संगठन (KVS) के दिशा-निर्देश
केंद्रीय विद्यालय (Kendriya Vidyalaya) संगठन ने इस दिशा में अहम कदम उठाए हैं। KVS द्वारा जारी गाइडलाइंस के अनुसार:
- कक्षा 1 और 2: बच्चों के बैग का वजन 2 किलोग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए।
- कक्षा 3 और 4: इन छात्रों के लिए अधिकतम वजन 3 किलोग्राम निर्धारित किया गया है।
- कक्षा 5 से 8: छात्रों के बैग का वजन 4 किलोग्राम से कम होना चाहिए।
- इन नियमों का उद्देश्य बच्चों को फिजिकल और मेंटल स्ट्रेस से बचाना है और शिक्षा को आसान व आनंददायक बनाना है।
मध्य प्रदेश सरकार के नए निर्देश
मध्य प्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) ने नई शिक्षा नीति (New Education Policy-NEP) के तहत कई अहम फैसले लिए हैं। राज्य सरकार ने निर्देश दिया है कि नर्सरी से लेकर दूसरी कक्षा तक के बच्चों को होमवर्क नहीं दिया जाएगा और उनके बैग का अधिकतम वजन 2.2 किलोग्राम से अधिक नहीं होगा। यह नीति बच्चों के प्रारंभिक विकास के लिहाज से अत्यंत सराहनीय है।
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समाधान की दिशा में क्या हो सकता है
अगर स्कूल शिक्षा को सच में बोझमुक्त बनाना चाहते हैं तो कुछ बुनियादी बदलाव जरूरी हैं:
- किताबों का डिजिटल विकल्प (e-books) उपलब्ध कराना।
- स्कूल में लॉकर की अनिवार्य व्यवस्था लागू करना।
- पाठ्यक्रम को यथासंभव संक्षिप्त और व्यावहारिक बनाना।
- शिक्षकों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश कि बच्चों को रोज कौन-सी किताबें लानी हैं।