Fake Helmets: नकली हेलमेट पहनने पर अब चालान ही नहीं, केस भी दर्ज होगा Helmet Rules India

उत्तर प्रदेश में अगर आप नकली या गैर-मानक (Non-BIS) हेलमेट पहनकर सड़क पर निकले, तो अब सिर्फ जुर्माना नहीं बल्कि एफआईआर और जेल तक जाना पड़ सकता है। योगी सरकार के इस नए कानून से हेलमेट माफिया की नींद उड़ गई है। जानिए कैसे बचें इस सख्त नियम से और क्या है BIS हेलमेट की पहचान

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Fake Helmets: नकली हेलमेट पहनने पर अब चालान ही नहीं, केस भी दर्ज होगा Helmet Rules India
Fake Helmets: नकली हेलमेट पहनने पर अब चालान ही नहीं, केस भी दर्ज होगा Helmet Rules India

उत्तर प्रदेश सरकार ने सड़क सुरक्षा (Road Safety) को लेकर एक अहम और सख्त निर्णय लिया है। अब राज्य में नकली या गैर-मानक यानी नॉन-बीआईएस (Non-BIS) हेलमेट पहनने पर न सिर्फ चालान (Challan) कटेगा, बल्कि एफआईआर (FIR) दर्ज करने की कार्यवाही भी की जा सकती है। इस नए नियम का उद्देश्य राज्य में बढ़ते सड़क हादसों (Road Accidents) और उनसे होने वाली मौतों पर लगाम लगाना है।

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क्यों उठाया गया यह सख्त कदम?

उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों की स्थिति बेहद चिंताजनक हो चुकी है। वर्ष 2023 में राज्य में लगभग 46,000 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें से करीब 24,000 लोगों की मौत हो गई। विशेषज्ञों के मुताबिक इन हादसों में एक बड़ी संख्या ऐसे मामलों की होती है, जिनमें दोपहिया वाहन चालकों ने या तो हेलमेट नहीं पहना था, या फिर ऐसा हेलमेट पहना था जो सुरक्षा मानकों पर खरा नहीं उतरता।

इन्हीं आंकड़ों को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने यह कठोर निर्णय लिया है, जिससे नकली या घटिया क्वालिटी के हेलमेट का उपयोग करने वालों पर लगाम कसी जा सके।

नॉन-बीआईएस हेलमेट पर लगेगा शिकंजा

भारत सरकार ने हेलमेट निर्माण और गुणवत्ता के लिए BIS (Bureau of Indian Standards) को अधिकृत संस्था बनाया है। BIS प्रमाणित (BIS certified) हेलमेट ही सड़क सुरक्षा मानकों के अनुरूप माने जाते हैं। लेकिन बाजार में बड़ी संख्या में नकली, लोकल या घटिया गुणवत्ता वाले हेलमेट खुलेआम बिकते हैं।

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अब अगर कोई व्यक्ति बीआईएस प्रमाणित हेलमेट नहीं पहनता और पकड़ा जाता है, तो उस पर केवल ₹1000 का चालान नहीं कटेगा, बल्कि पुलिस एफआईआर भी दर्ज कर सकती है। यह प्रावधान मोटर वाहन अधिनियम (Motor Vehicles Act) के तहत लागू किया जा रहा है।

टू-व्हीलर हेलमेट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन का समर्थन

भारत के टू-व्हीलर हेलमेट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (Two-Wheeler Helmet Manufacturers Association – 2WHMA) ने उत्तर प्रदेश सरकार के इस फैसले की सराहना की है। एसोसिएशन के अध्यक्ष और स्टीलबर्ड हेलमेट्स (Steelbird Helmets) के मैनेजिंग डायरेक्टर राजीव कपूर ने इसे “ऐतिहासिक निर्णय” बताया है।

उन्होंने कहा कि यह फैसला उन सभी लोगों के लिए चेतावनी है जो सस्ते और नकली हेलमेट की बिक्री या उपयोग करते हैं। साथ ही, उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और परिवहन आयुक्त बी.एन. सिंह को नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोपरि रखने के लिए धन्यवाद दिया।

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हेलमेट खरीदते समय किन बातों का रखें ध्यान?

अब जबकि राज्य सरकार की नीति सख्त हो चुकी है, आम नागरिकों के लिए यह जरूरी हो गया है कि वे बीआईएस प्रमाणित हेलमेट ही खरीदें। एक मानक हेलमेट की पहचान उसके अंदर लगे ISI मार्क से की जा सकती है। इसके अलावा, हेलमेट का साइज सही होना चाहिए, उसकी पट्टी और लॉकिंग सिस्टम मजबूत हो, और सबसे जरूरी – वह सिर और चेहरे को पूरी सुरक्षा प्रदान करता हो।

सड़क सुरक्षा के प्रति सरकार की प्राथमिकता

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि राज्य प्रशासन सड़क सुरक्षा के प्रति अब किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेगा। सरकार का लक्ष्य केवल चालान काटना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि राज्य में हर दोपहिया वाहन चालक की जान सुरक्षित रहे।

इस पहल से एक ओर जहां आम जनता को जागरूक किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर नकली हेलमेट बेचने वाले माफिया के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जा रही है।

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आगे क्या हो सकता है?

परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार आने वाले समय में नकली हेलमेट बेचने वाले दुकानदारों और निर्माताओं के खिलाफ विशेष अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए ट्रैफिक पुलिस और स्थानीय प्रशासन को विशेष अधिकार दिए जाएंगे।

साथ ही, जन जागरूकता के लिए विशेष अभियान, सोशल मीडिया कैंपेन, स्कूल-कॉलेजों में कार्यक्रम और रोड शो भी आयोजित किए जा सकते हैं।

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