जन औषधि केंद्र खोलो और बनो लाखों के मालिक! सरकार दे रही मोटी सब्सिडी – पूरा प्रोसेस जानिए यहां

सरकार दे रही है जेनेरिक दवाइयों की दुकान खोलने पर भारी सब्सिडी और प्रॉफिट का मौका! महिला, दिव्यांग और पूर्व सैनिकों को मिलेगा अतिरिक्त लाभ। जानें ऑनलाइन आवेदन, पात्रता, दस्तावेज और बिज़नेस मॉडल की पूरी जानकारी – पढ़ें और आज ही शुरुआत करें

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जन औषधि केंद्र खोलो और बनो लाखों के मालिक! सरकार दे रही मोटी सब्सिडी – पूरा प्रोसेस जानिए यहां
जन औषधि केंद्र खोलो और बनो लाखों के मालिक! सरकार दे रही मोटी सब्सिडी – पूरा प्रोसेस जानिए यहां

लखनऊ: अगर आप जन औषधि केंद्र (Jan Aushadhi Kendra) खोलने की योजना बना रहे हैं, तो यह आपके लिए एक सुनहरा मौका हो सकता है। भारत सरकार की यह योजना न केवल सस्ती और गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाइयों (Generic Medicines) को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की गई है, बल्कि यह उद्यमियों, विशेषकर महिलाओं, दिव्यांगों और भूतपूर्व सैनिकों के लिए भी एक बड़ा अवसर लेकर आई है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के ड्रग्स इंस्पेक्टर संदेश मौर्या ने इस योजना की संपूर्ण प्रक्रिया, पात्रता, आर्थिक मदद और अन्य पहलुओं पर विस्तार से जानकारी दी है।

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भारत जेनेरिक दवाइयों का अग्रणी निर्यातक

ड्रग इंस्पेक्टर मौर्या के अनुसार, भारत जेनेरिक दवाइयों का दुनिया में एक प्रमुख निर्यातक है। हालांकि देश में अधिकांश दवाइयां ब्रांडेड जेनेरिक (Branded Generic) रूप में बिकती हैं, जो सामान्य जेनेरिक दवाओं की तुलना में महंगी होती हैं। दोनों प्रकार की दवाओं का चिकित्सीय असर समान होता है, लेकिन जन औषधि योजना के माध्यम से इन्हें बेहद कम कीमत पर उपलब्ध कराया जा रहा है।

ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया

जन औषधि केंद्र खोलने के लिए आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन होती है। इच्छुक आवेदक http://janaushadhi.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। आवेदन शुल्क ₹5,000 है जो कि रिफंडेबल नहीं होता, हालांकि महिला उद्यमी, दिव्यांग, अनुसूचित जाति/जनजाति, भूतपूर्व सैनिक, आकांक्षी जिलों एवं उत्तर-पूर्वी राज्यों के आवेदकों को शुल्क में छूट दी जाती है।

पात्रता मानदंड और शैक्षणिक योग्यता

केंद्र खोलने के लिए आवेदक के पास D.Pharma या B.Pharma की डिग्री होनी चाहिए। यदि आवेदक स्वयं फार्मासिस्ट नहीं है, तो उसे डिग्री धारक फार्मासिस्ट को नियुक्त करना होगा। आवेदन के समय या अंतिम स्वीकृति के समय फार्मासिस्ट की डिग्री का प्रमाण देना अनिवार्य है।

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इसके अलावा मेडिकल कॉलेजों, सरकारी अस्पतालों, प्रतिष्ठित एनजीओ और PACS (Primary Agriculture Credit Societies) को भी पात्र माना गया है, खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों के लिए।

केंद्र खोलने के लिए जगह की शर्तें

कम से कम 120 वर्ग फुट की जगह जरूरी है, जो खुद की या किराए पर ली गई हो सकती है। आवेदक को जगह की व्यवस्था स्वयं करनी होती है; इसमें पीएमबीआई (PMBI) की कोई भूमिका नहीं होती।

वित्तीय सहायता और प्रोत्साहन

जन औषधि केंद्र संचालकों को कई तरह की वित्तीय सहायता दी जाती है। दवाओं की मासिक खरीद पर 20% प्रोत्साहन राशि दी जाती है, जिसकी अधिकतम सीमा ₹20,000 प्रति माह है।

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विशेष श्रेणियों के तहत आने वाले आवेदकों (जैसे महिला, दिव्यांग, एससी/एसटी, पूर्व सैनिक, उत्तर-पूर्वी राज्य आदि) को ₹2 लाख की एकमुश्त सहायता राशि दी जाती है। यह सहायता आईटी और इंफ्रास्ट्रक्चर व्यय की प्रतिपूर्ति के रूप में दी जाती है।

दवाएं और उत्पाद

इस योजना के तहत 2110 प्रकार की दवाएं और 315 सर्जिकल उत्पाद शामिल किए गए हैं। साथ ही विभिन्न न्यूट्रास्यूटिकल (Nutraceutical) उत्पाद जैसे प्रोटीन पाउडर, च्यवनप्राश, त्रिफला, शिलाजीत आदि भी इसमें सम्मिलित हैं। FSSAI के अंतर्गत नए आयुर्वेदिक उत्पादों को भी शामिल करने की दिशा में काम जारी है।

वितरण और सप्लाई चेन

दवाइयों की आपूर्ति के लिए WHO-GMP प्रमाणित कंपनियों से दवाएं खरीदी जाती हैं। एक केंद्रीय गोदाम (गुरुग्राम) और चार क्षेत्रीय गोदाम (गुवाहाटी, चेन्नई, सूरत, बेंगलुरु) बनाए गए हैं, जिनका कुल भंडारण क्षेत्र लगभग 2.15 लाख वर्ग फीट है। 36 डिस्ट्रीब्यूटर देशभर में दवाओं की सप्लाई करते हैं।

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SAP आधारित सॉफ्टवेयर और POS एप्लिकेशन के जरिए केंद्रों को तकनीकी रूप से सक्षम बनाया गया है, जिससे पारदर्शिता और निगरानी सुनिश्चित की जा सके।

दस्तावेज़ों की आवश्यकता

आवेदन के समय निम्नलिखित दस्तावेज़ जरूरी होंगे:

  • आधार कार्ड
  • पैन कार्ड
  • बैंक स्टेटमेंट
  • ऑनरशिप प्रूफ (हाउस टैक्स रसीद, रजिस्ट्री कॉपी)
  • रेंट एग्रीमेंट (यदि जगह किराए पर हो)
  • फार्मासिस्ट पंजीकरण प्रमाणपत्र
  • श्रेणी का प्रमाणपत्र (यदि आरक्षित श्रेणी में आते हों)

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लक्ष्य और भौगोलिक कवरेज

भारत सरकार ने 31 मार्च 2027 तक 25,000 जन औषधि केंद्र खोलने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके तहत अब दो केंद्रों के बीच की न्यूनतम दूरी 1.5 किमी से घटाकर 1 किमी कर दी गई है, जिससे अधिक से अधिक लोगों को लाभ मिल सके।

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