
रेलवे ने टिकट बुकिंग और वेटिंग टिकट से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव करते हुए यात्रियों को झटका दिया है। यह नए नियम 1 मई, 2025 से प्रभावी हो गए हैं। अब वेटिंग टिकट के साथ स्लीपर या एसी कोच में यात्रा संभव नहीं होगी। केवल जनरल कोच (General Coach) में ही वेटिंग टिकट मान्य होंगे। रेलवे का कहना है कि इस फैसले का उद्देश्य ट्रेनों में अनावश्यक भीड़ को कम करना और कन्फर्म टिकट धारकों को बेहतर सुविधा देना है।
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रेलवे के इस निर्णय का सबसे बड़ा असर उन यात्रियों पर पड़ेगा जो लंबी दूरी की यात्रा के लिए वेटिंग टिकट लेकर सफर करते थे। अब उन्हें सिर्फ कन्फर्म टिकट मिलने पर ही स्लीपर या एसी कोच में प्रवेश मिलेगा। जनरल कोच में सफर करना अनिवार्य होगा, जिससे ज्यादा भीड़ की आशंका बनी रहेगी।
एडवांस रिजर्वेशन पीरियड (ARP) घटा, अब सिर्फ 60 दिन पहले तक टिकट बुकिंग संभव
रेलवे ने एडवांस रिजर्वेशन पीरियड (Advance Reservation Period-ARP) को भी कम कर दिया है। पहले यात्री 120 दिन पहले तक की टिकट बुक कर सकते थे, लेकिन अब यह अवधि घटाकर 60 दिन कर दी गई है। यानी अब यात्री केवल दो महीने पहले तक की ही टिकट बुक कर सकेंगे।
इस बदलाव से उन यात्रियों को दिक्कत हो सकती है जो पहले से लंबी दूरी की यात्रा की योजना बनाते थे और जल्दी टिकट बुक करते थे। हालांकि रेलवे का मानना है कि इससे टिकट बुकिंग प्रणाली अधिक पारदर्शी और संतुलित होगी।
टिकट रद्द करने पर शुल्क में संभावित वृद्धि
रेलवे ने संकेत दिए हैं कि आने वाले समय में टिकट रद्द (Ticket Cancellation) करने पर लगने वाले शुल्क में भी बदलाव हो सकता है। तीन प्रमुख चार्जेज में वृद्धि की संभावना है जिससे रिफंड कम मिलेगा और रद्दीकरण की लागत ज्यादा हो जाएगी।
यह बदलाव यात्रियों को टिकट बुकिंग में अधिक सतर्क रहने के लिए प्रेरित करेगा। खासकर वेटिंग टिकट को लेकर पहले जैसी लचीलापन अब नहीं रहेगा। यात्रियों को पहले से ही तय योजना के अनुसार कन्फर्म टिकट लेने की जरूरत होगी।
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एटीएम लेनदेन पर शुल्क में वृद्धि, अब हर निकासी पर देना होगा अधिक पैसा
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के नए निर्देशों के अनुसार, 1 मई, 2025 से एटीएम लेनदेन पर शुल्क बढ़ा दिया गया है। यह नियम पंजाब नेशनल बैंक (PNB), HDFC जैसे बड़े बैंकों पर लागू हो चुका है।
अब मुफ्त लेनदेन की सीमा पार करने के बाद ग्राहकों को नकदी निकालने, बैलेंस चेक करने और अन्य गैर-वित्तीय लेनदेन पर अधिक शुल्क देना होगा।
बैंक की नई शुल्क संरचना इस प्रकार है:
- कैश निकासी (Cash Withdrawal): ₹23 प्रति ट्रांजैक्शन
- बैलेंस चेक (Balance Check): ₹7 प्रति ट्रांजैक्शन (पहले ₹6 था)
- गैर-वित्तीय लेनदेन (Non-Financial Transaction): ₹11 प्रति ट्रांजैक्शन
इन बढ़े हुए शुल्कों का असर खासकर उन ग्राहकों पर पड़ेगा जो महीने में बार-बार एटीएम का उपयोग करते हैं। अब लोगों को अपने मासिक एटीएम फ्री लिमिट की जानकारी रखना जरूरी हो गया है।
11 राज्यों में RRB का विलय, ‘एक राज्य, एक आरआरबी’ नीति लागू
केंद्र सरकार की ‘एक राज्य, एक RRB’ नीति के तहत 1 मई, 2025 से 11 राज्यों में 15 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (Regional Rural Banks-RRB) का विलय कर दिया गया है। इस विलय के बाद देश में RRB की संख्या 43 से घटकर 28 रह गई है।
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सरकार का उद्देश्य है कि इस कदम से बैंकों की ऑपरेशनल एफिशिएंसी (Operational Efficiency) बढ़े, लागत घटे और ग्राहकों को बेहतर डिजिटल एवं ग्राहक सेवा (Customer Service) मिल सके।
ग्राहकों के लिए राहत की बात यह है कि बैंक की शाखाओं की संख्या में कोई कमी नहीं की गई है। केवल बैंकों के नाम बदले हैं और सेवा की गुणवत्ता को और मजबूत किया गया है। ग्राहकों को अपने खाते या लेनदेन में कोई बदलाव करने की जरूरत नहीं है।
इस विलय को ग्रामीण भारत में बैंकिंग सुविधा को और सुलभ बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।