
1 मई 2025 से आम लोगों की जेब और रोजमर्रा की ज़िंदगी से जुड़े कई अहम नियमों में बदलाव होने जा रहा है। ये बदलाव ATM से कैश निकालने, ओला-उबर जैसी कैब सर्विसेज और FASTag जैसे टोल कलेक्शन सिस्टम से जुड़े हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इन नियमों का सीधा असर आम नागरिकों पर पड़ेगा। ऐसे में जरूरी है कि आप समय रहते नए नियमों की जानकारी ले लें, ताकि किसी भी असुविधा से बचा जा सके।
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1 मई 2025 से लागू होने जा रहे ये नए नियम सीधे तौर पर आम नागरिकों को प्रभावित करेंगे। जहां एक ओर ATM से कैश निकालना महंगा हो सकता है, वहीं ओला-उबर की सेवाएं कुछ शहरों में ज्यादा पारदर्शी और नियंत्रण में होंगी। Fastag के भविष्य को लेकर अफवाहों से परे, यह स्पष्ट है कि यह सिस्टम अभी जारी रहेगा। ऐसे में जरूरी है कि आप समय रहते अपने बैंकिंग और ट्रांसपोर्ट संबंधित व्यवहार को नए नियमों के हिसाब से ढालें।
एटीएम से पैसे निकालना अब हो सकता है महंगा
अगर आप अक्सर एटीएम से पैसे निकालते हैं तो 1 मई से लागू होने वाले नियम आपके लिए महत्वपूर्ण हैं। नए नियम के अनुसार, मेट्रो शहरों में हर महीने केवल 3 फ्री ट्रांजैक्शन की सुविधा मिलेगी। वहीं, नॉन-मेट्रो शहरों में यह सीमा 5 ट्रांजैक्शन तक होगी। फ्री लिमिट समाप्त होने के बाद प्रत्येक अतिरिक्त ट्रांजैक्शन पर 23 रुपये तक का शुल्क लिया जाएगा।
इतना ही नहीं, एटीएम में जाकर अगर आप बैलेंस चेक करते हैं तो भी आपको चार्ज देना होगा। अब तक यह शुल्क 6 रुपये था, लेकिन इसे बढ़ाकर 7 रुपये कर दिया गया है। इन बदलावों का उद्देश्य एटीएम ट्रांजैक्शन को रेगुलेट करना और डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देना है, हालांकि इससे कैश ट्रांजैक्शन करने वालों की जेब पर बोझ बढ़ सकता है।
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Fastag नहीं हो रहा खत्म, GPS आधारित टोल पर फिलहाल कोई फैसला नहीं
बीते कुछ दिनों से सोशल मीडिया और मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा था कि 1 मई से FASTag सिस्टम को हटाकर GPS आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम लागू किया जाएगा। हालांकि, इस पर केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने सफाई देते हुए कहा है कि फिलहाल देशभर में GPS आधारित टोल प्रणाली लागू करने की कोई योजना नहीं है।
मंत्रालय के अनुसार, Fastag अभी भी पूरी तरह से चालू रहेगा और इसका इस्तेमाल जारी रहेगा। कुछ खास रूट्स पर हाइब्रिड टोल सिस्टम का परीक्षण जरूर किया जाएगा, लेकिन पूरे देश में GPS सिस्टम लागू करने की खबरें बेबुनियाद हैं। ऐसे में जिन लोगों ने रिचार्ज रोक दिया था, उन्हें अब FASTag को दोबारा रिचार्ज कर लेना चाहिए।
महाराष्ट्र के इन शहरों में ओला-उबर के किराए पर सरकारी नियंत्रण
1 मई 2025 से महाराष्ट्र के पुणे, पिंपरी चिंचवड़ और बारामती जैसे शहरों में ओला, उबर और रैपिडो जैसी कैब सेवाओं के किराए अब सरकार तय करेगी। रिपोर्ट्स के अनुसार, इन सेवाओं के लिए सरकार एक स्टैंडर्ड किराया तय करने जा रही है ताकि सवारी और ड्राइवर दोनों को स्पष्टता मिल सके।
नए नियम के तहत, इन कैब्स का शुरुआती किराया पहले डेढ़ किलोमीटर के लिए 37 रुपये होगा। इसके बाद प्रति किलोमीटर के हिसाब से 25 रुपये चार्ज किए जाएंगे। इस कदम से न सिर्फ उपभोक्ताओं को फायदा होगा बल्कि ड्राइवरों को भी अपनी कमाई का अनुमान सही से लग सकेगा। यह मॉडल काफी हद तक दिल्ली में लागू ऑटो किराया व्यवस्था जैसा होगा, हालांकि यह देखना दिलचस्प होगा कि यह कितना प्रभावी साबित होता है।
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डिजिटल पेमेंट और कैश ट्रांजैक्शन के बीच संतुलन
भले ही UPI जैसे डिजिटल पेमेंट सिस्टम का चलन बढ़ा हो, लेकिन अब भी देश की बड़ी आबादी नकद लेन-देन पर निर्भर है। खासकर छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में ATM से कैश निकालना एक आम जरूरत है। ऐसे में ATM निकासी पर चार्ज बढ़ना कई लोगों के लिए चिंता का विषय हो सकता है।
वहीं, Fastag और GPS आधारित टोल की बहस आने वाले वर्षों में टोल कलेक्शन प्रणाली के डिजिटलीकरण की ओर इशारा करती है। सरकार यदि GPS टोल को भविष्य में लागू करती है, तो यह भारत के परिवहन इंफ्रास्ट्रक्चर में एक बड़ा बदलाव होगा।