
पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में गहरा तनाव देखने को मिल रहा है। भारत के तीखे रुख के जवाब में पाकिस्तान की ओर से लगातार उकसावे वाली बयानबाज़ी हो रही है। पाकिस्तान के रक्षामंत्री ने तकरीबन धमकी देते हुए कहा है कि अगर उनके देश के “आस्तित्व” पर कोई खतरा मंडराया, तो वे परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने से पीछे नहीं हटेंगे। इस बीच भारत में उनके आधिकारिक एक्स (पूर्व ट्विटर) अकाउंट को भी बैन कर दिया गया है।
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भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ता तनाव न सिर्फ दक्षिण एशिया के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बन चुका है। दोनों देश परमाणु शक्ति से लैस हैं, ऐसे में किसी भी छोटे कदम का बड़ा असर हो सकता है। UN की भूमिका इस संघर्ष में तभी प्रभावी बन सकती है जब वह सक्रियता से मध्यस्थता की प्रक्रिया शुरू करे और सदस्य देश इस पर एकमत हों।
परमाणु हमले की धमकी और भारत की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान की ओर से परमाणु हथियार के इस्तेमाल की धमकी को भारत ने गंभीरता से लिया है। हालांकि भारत की ओर से किसी प्रकार की प्रत्यक्ष युद्ध घोषणा नहीं की गई है, लेकिन संकेत साफ हैं कि भारत अब कड़े कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा। केंद्र सरकार की ओर से पाकिस्तान के खिलाफ कुछ बड़े और कड़े फैसले लिए गए हैं, जिनसे दोनों देशों के रिश्ते और तनावपूर्ण हो गए हैं।
भारत की ओर से की गई सख्त कार्रवाई में पाकिस्तानी नेताओं के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर प्रतिबंध, व्यापारिक संबंधों पर पुनर्विचार और सीमाई सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना शामिल है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की स्थिति बनती है, तो क्या यूनाइटेड नेशन-United Nations (UN) इसमें दखल देगा, और कब?
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युद्ध के हालात में यूनाइटेड नेशन की भूमिका
यूनाइटेड नेशन यानी संयुक्त राष्ट्र का प्राथमिक उद्देश्य वैश्विक शांति और सुरक्षा को बनाए रखना है। यह संस्था द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इसी उद्देश्य से स्थापित की गई थी ताकि भविष्य में विश्व युद्ध जैसी स्थितियों को टाला जा सके। हालांकि, किसी भी युद्ध में UN का दखल कई शर्तों और प्रक्रियाओं पर निर्भर करता है।
अगर भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसी स्थिति बनती है, तो यूनाइटेड नेशन की ओर से तुरंत सैन्य हस्तक्षेप की संभावना कम रहती है। UN आम तौर पर पहले मध्यस्थता, संवाद और कूटनीतिक प्रयासों के जरिए शांति स्थापना की कोशिश करता है। यह तभी सक्रिय सैन्य या आर्थिक कार्रवाई करता है जब सुरक्षा परिषद में सभी स्थायी सदस्य इस पर सहमत हों।
UN कब करता है युद्ध में दखल?
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council) और महासचिव किसी भी सैन्य संघर्ष की गंभीरता का मूल्यांकन करते हैं। इसके बाद, अगर यह तय किया जाता है कि युद्ध से अंतरराष्ट्रीय शांति खतरे में है, तो UN कार्रवाई कर सकता है। यह कार्रवाई मानवता को बचाने, संघर्ष को रोकने, या शांति बहाली के लिए हो सकती है।
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हालांकि, यह आवश्यक नहीं कि युद्ध शुरू होते ही UN सक्रिय हस्तक्षेप करे। इसमें कई बार सप्ताहों या महीनों तक का समय भी लग सकता है, खासकर जब संघर्ष क्षेत्रीय हो और उसमें बाहरी देशों की सीधे भागीदारी न हो।
मानवीय सहायता और शांति मिशन
अगर युद्ध की स्थिति गंभीर हो जाती है, तो संयुक्त राष्ट्र मानवीय सहायता प्रदान करने में सबसे पहले कदम उठाता है। इसमें प्रभावित लोगों को खाना, पानी, दवाएं और चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई जाती है। इसके अलावा, शरणार्थियों के पुनर्वास और बुनियादी सेवाओं की बहाली भी UN की प्राथमिकताओं में होती है।
UN की शांति सेना (Peacekeeping Forces) युद्ध क्षेत्रों में तैनात की जा सकती है, लेकिन इसके लिए भी सदस्य देशों की सहमति आवश्यक होती है। भारत और पाकिस्तान जैसे परमाणु शक्ति संपन्न देशों के मामले में UN की भूमिका और भी जटिल हो जाती है, क्योंकि यहां किसी भी हस्तक्षेप को सावधानीपूर्वक संतुलित करना होता है।
भारत-पाकिस्तान युद्ध की संभावना और रणनीतिक दृष्टिकोण
वर्तमान हालात को देखते हुए युद्ध की आशंका को पूरी तरह नकारा नहीं जा सकता। लेकिन भारत अब एक रणनीतिक और संयमित दृष्टिकोण अपनाने में विश्वास रखता है। सरकार द्वारा लिए गए हालिया निर्णय और सुरक्षा बलों की गतिविधियों से यह स्पष्ट है कि भारत युद्ध नहीं चाहता, लेकिन किसी भी उकसावे का जवाब देने में सक्षम और तैयार है।
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भारत के रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यदि पाकिस्तान की ओर से कोई बड़ा सैन्य या आतंकवादी कदम उठाया जाता है, तो भारत की प्रतिक्रिया बेहद सख्त हो सकती है। लेकिन अभी तक दोनों देशों ने खुला युद्ध टालने की नीति अपनाई है।