लाड़ली बहनों को खुशखबरी! 24वीं किस्त की तारीख का हुआ खुलासा

लाड़ली बहना योजना मध्यप्रदेश की महिलाओं को आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में सशक्त बना रही है। मई में आने वाली 24वीं किस्त को लेकर प्रदेश की महिलाएं आशान्वित हैं। यह योजना न केवल महिलाओं को ₹1000 प्रतिमाह की आर्थिक सहायता देती है, बल्कि उन्हें स्व-सहायता समूहों के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाकर समाज में सम्मानजनक स्थान भी दिला रही है।

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लाड़ली बहनों को खुशखबरी! 24वीं किस्त की तारीख का हुआ खुलासा
लाड़ली बहनों को खुशखबरी

Ladli Behna Yojana मध्यप्रदेश सरकार की एक ऐसी प्रमुख योजना बन चुकी है, जिसने राज्य की महिलाओं को आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में एक नया रास्ता दिखाया है। इस योजना की 24वीं किस्त को लेकर प्रदेशभर की महिलाएं बेसब्री से इंतजार कर रही हैं। मई महीने में यह किस्त आने की संभावना जताई जा रही है, जिससे लाखों महिलाओं के चेहरों पर मुस्कान लौटने वाली है।

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, जो इस योजना के मूल प्रेरणास्रोत माने जाते हैं, ने हाल ही में बयान दिया कि “तुम्हारे भैया ने ऐसा काम किया है कि अब लाड़ली बहना योजना सिर्फ मध्यप्रदेश तक सीमित नहीं रही, यह पूरे देश में फैल चुकी है।” उनका यह वक्तव्य महिलाओं में नए उत्साह का संचार करता है और इस योजना के प्रभाव को रेखांकित करता है।

कब आएगी 24वीं किस्त और क्यों है यह महत्वपूर्ण

2 मई को Ladli Laxmi Utsav का आयोजन किया जाएगा, जिसे प्रदेशव्यापी स्तर पर मनाने की तैयारी चल रही है। इसी दिन 48 लाख पौधे लगाने का संकल्प भी लिया गया है, जो सामाजिक भागीदारी को दर्शाता है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि लाड़ली बहना योजना की 24वीं किस्त 2 मई या 3 मई को महिलाओं के खातों में ट्रांसफर की जाएगी।

राज्य सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि योजना को बंद नहीं किया जाएगा, बल्कि इसे और मजबूत किया जाएगा। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने हाल ही में कहा था कि सरकार हर महीने 10 से 16 तारीख के बीच राशि ट्रांसफर करती रहेगी। इसका उद्देश्य है कि योजना की निरंतरता बनी रहे और महिलाएं आर्थिक रूप से पिछड़ेपन से बाहर निकल सकें।

एक सामाजिक बदलाव की कहानी

यह योजना केवल आर्थिक मदद तक सीमित नहीं है, बल्कि यह महिलाओं की सोच, आत्मविश्वास और सामाजिक स्थिति को भी बदल रही है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने हालिया संबोधन में कहा कि पहले महिलाएं घूंघट में रहती थीं, अब वही महिलाएं स्व-सहायता समूहों (Self-Help Groups) का नेतृत्व कर रही हैं।

“आज वे महिलाएं जिनके पतिदेव कभी उन्हें रसोई से बाहर नहीं निकलने देते थे, वही महिलाएं आज ‘लखपति दीदी’ बन चुकी हैं। उनके पति अब उन्हें सम्मान से देखते हैं और गर्व से कहते हैं कि वे लखपति दीदी के पति हैं।” यह बदलाव सामाजिक ढांचे में एक क्रांतिकारी परिवर्तन का संकेत है, जिसे किसी भी सरकारी योजना के लिए आदर्श मॉडल कहा जा सकता है।

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