
भारत में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने एक बड़ा फैसला लिया है, जिसके तहत देशभर के नेशनल हाईवे और एक्सप्रेसवे पर टोल वसूली का काम अब निजी टोल एजेंसियों से लेकर बैंकों को सौंपा जाएगा। यह फैसला टोल वसूली प्रक्रिया को पारदर्शी और अधिक आधुनिक बनाने के लिए लिया गया है। मंत्रालय ने इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है और कई सरकारी बैंकों से मीटिंग भी हो चुकी है। इस बदलाव से न केवल टोल वसूली के तरीके में सुधार होगा, बल्कि वाहन चालकों का समय भी बचेगा, क्योंकि टोल प्लाजा पर लंबी कतारें कम हो सकती हैं।
बैंकों के साथ मीटिंग: टोल वसूली के लिए नए मॉडल पर काम
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने हाल ही में बैंकों के साथ बैठकें की हैं, ताकि टोल वसूली के लिए एक नया मॉडल तैयार किया जा सके। बैंकों ने इस प्रस्ताव पर अपनी रुचि दिखाई है और टोल वसूली के लिए तैयार हैं। मंत्रालय इस समय इस बात पर मंथन कर रहा है कि बैंक टोल वसूली का कार्य कैसे करेंगे और इस प्रक्रिया को कितनी जल्दी लागू किया जा सकेगा। इस कदम के बाद, टोल की रकम सीधे बैंकों के पास जाएगी और फिर वे इसे नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) को सौंप देंगे। इसके बदले बैंक को हाई-टेक कैमरे और टोल वसूली के लिए जरूरी अन्य सुविधाओं की खरीदारी करनी होगी।
टोल एजेंसियों की छुट्टी: कैसे होगा बदलाव?
मौजूदा समय में देशभर के 1063 टोल प्लाजा पर टोल वसूली का काम विभिन्न टोल एजेंसियों द्वारा किया जाता है। ये एजेंसियां स्थानीय स्तर पर कर्मचारियों को हायर करके टोल वसूल करती हैं और उसके बाद टोल शुल्क को संबंधित कंपनी या एनएचएआई को सौंप देती हैं। मंत्रालय ने इस प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करने का निर्णय लिया है, जिसके तहत अब ये जिम्मेदारी बैंकों को सौंपने की योजना है। इससे न केवल टोल वसूली की प्रक्रिया अधिक आधुनिक और सुरक्षित होगी, बल्कि टोल प्लाजा पर लगने वाली भीड़-भाड़ भी कम हो सकती है।
टोल प्लाजा हटाने का प्रस्ताव: समय की बचत
सड़क परिवहन मंत्रालय के अनुसार, टोल बैरियर यानी टोल प्लाजा को समाप्त किया जाएगा। यह कदम वाहन चालकों के समय को बचाने और यात्रा को सुगम बनाने के उद्देश्य से उठाया जा रहा है। हालांकि पहले जीपीएस आधारित तकनीक से टोल वसूली की योजना बनाई गई थी, लेकिन अब इसमें बदलाव किया गया है। मंत्रालय ने इस पर निर्णय लिया है कि टोल वसूली के लिए एएनपीआर (ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकगनिशन) तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। इस तकनीक के जरिए बिना रुके वाहन से टोल वसूला जा सकेगा, जिससे यात्री समय की बचत कर पाएंगे और सड़क पर भी भीड़ कम होगी।
नया मॉडल: बैंकों का भूमिका और भविष्य
सड़क परिवहन मंत्रालय के अनुसार, अब बैंकों को टोल वसूली के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराया जाएगा। बैंकों के पास टोल शुल्क जमा होगा और वे इसे तय समय पर एनएचएआई को सौंप देंगे। इसके अलावा, बैंकों को उच्च गुणवत्ता वाले कैमरे खरीदने होंगे, जो टोल वसूली की प्रक्रिया को सटीक और पारदर्शी बनाएंगे। इन कैमरों को बैंकों द्वारा टोल प्लाजा पर इंस्टॉल किया जाएगा। मंत्रालय इस मॉडल पर अभी विचार कर रहा है कि बैंक कितने समय तक टोल की राशि को अपने पास रखेंगे, लेकिन उम्मीद जताई जा रही है कि इस प्रक्रिया को जल्द ही फाइनल कर लिया जाएगा।
इस बदलाव का प्रभाव
इस परिवर्तन से न केवल टोल वसूली की प्रक्रिया में सुधार होगा, बल्कि यह प्रणाली और अधिक पारदर्शी भी बनेगी। साथ ही, यह कदम सरकारी बैंकों को एक नए प्रकार के डिजिटल भुगतान सेवाओं को संभालने का अवसर भी देगा। एएनपीआर जैसी तकनीक के साथ, सरकार टोल वसूली को अधिक दक्ष और ट्रांसपेरेंट बनाएगी। इस बदलाव से टोल वसूली की पूरी प्रक्रिया में समय की बचत होगी और यात्री ज्यादा सुगमता से यात्रा कर पाएंगे।
सड़क परिवहन मंत्रालय इस योजना को जल्द ही लागू करने की योजना बना रहा है, और बैंकों से संपर्क करने का काम भी तेज़ी से जारी है। जल्द ही टोल वसूली का नया मॉडल फाइनल हो जाएगा और इसके बाद पूरे देश में इसका लागू किया जाएगा।