क्या शादी के 10 साल बाद भी बनवा सकते हैं मैरिज सर्टिफिकेट! जानिए स्टेप बाय स्टेप प्रोसेस और फायदे

भारत में शादी के 10 साल बाद भी मैरिज सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया जा सकता है। प्रक्रिया में आवेदन पत्र, दस्तावेज सत्यापन, गवाहों के बयान और विशेष अनुमति की आवश्यकता हो सकती है। मैरिज सर्टिफिकेट न केवल एक कानूनी दस्तावेज है, बल्कि संपत्ति अधिकार, बीमा, पासपोर्ट, और कोर्ट मामलों में भी अहम भूमिका निभाता है। समय रहते यह प्रमाण-पत्र बनवाना कई फायदे दिला सकता है।

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क्या शादी के 10 साल बाद भी बनवा सकते हैं मैरिज सर्टिफिकेट! जानिए स्टेप बाय स्टेप प्रोसेस और फायदे
Marriage Certificate

भारत में शादी को एक सामाजिक और कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त पवित्र बंधन माना जाता है। विवाह के बाद, शादी को आधिकारिक रूप से प्रमाणित करने के लिए मैरिज सर्टिफिकेट- Marriage Certificate बनवाना बेहद जरूरी होता है। आमतौर पर शादी के 30 दिनों के भीतर शादी का पंजीकरण कराने की सलाह दी जाती है, लेकिन अगर यह समय निकल भी जाए, तो घबराने की जरूरत नहीं है। भारत में शादी के 10 साल बाद भी मैरिज सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया जा सकता है, बशर्ते कुछ अतिरिक्त दस्तावेज और प्रक्रियाओं का पालन किया जाए।

क्या शादी के 10 साल बाद भी मैरिज सर्टिफिकेट बनवाना संभव है?

हां, भारत सरकार ने विवाह पंजीकरण के लिए कोई सख्त समय सीमा निर्धारित नहीं की है। चाहे आपकी शादी को 10 साल हो चुके हों या उससे भी अधिक समय बीत चुका हो, आप अब भी मैरिज सर्टिफिकेट- Marriage Certificate के लिए आवेदन कर सकते हैं। हालांकि, देरी से आवेदन करने पर अतिरिक्त सत्यापन, दस्तावेज और कभी-कभी जिला मजिस्ट्रेट-DM से अनुमति लेना अनिवार्य हो सकता है।

मैरिज रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया इस बात पर भी निर्भर करती है कि आप किस अधिनियम के तहत आवेदन कर रहे हैं, जैसे- हिंदू विवाह अधिनियम 1955 या विशेष विवाह अधिनियम 1954।

शादी के 10 साल बाद मैरिज सर्टिफिकेट के लिए आवेदन प्रक्रिया

शादी के 30 दिनों के भीतर रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर भी आप निम्नलिखित प्रक्रिया से विवाह प्रमाण-पत्र प्राप्त कर सकते हैं:

सबसे पहले, आपको आवेदन पत्र भरना होगा, जिसे आप ऑनलाइन या मैरिज रजिस्ट्रार ऑफिस से प्राप्त कर सकते हैं। पति और पत्नी, दोनों का ID Proof, निवास प्रमाण-पत्र और आयु प्रमाण-पत्र अनिवार्य है। साथ ही, शादी का निमंत्रण पत्र, शादी की तस्वीरें और गवाहों के पहचान प्रमाण-पत्र भी जरूरी होते हैं। आवेदन के साथ विवाह का विवरण, देरी का कारण और वैवाहिक स्थिति की पुष्टि करने वाला एफिडेविट भी जमा करना होता है।

यदि आप हिंदू, बौद्ध, जैन या सिख हैं, तो आपके लिए हिंदू विवाह अधिनियम 1955 लागू होगा, वहीं अगर आपकी शादी इंटरफेथ या इंटरकास्ट है, तो विशेष विवाह अधिनियम 1954 के तहत रजिस्ट्रेशन होगा। आपको उस स्थान के रजिस्ट्रार कार्यालय में आवेदन करना होगा, जहां विवाह हुआ था या जहां आप वर्तमान में निवास कर रहे हैं। आवेदन पत्र के साथ सभी आवश्यक दस्तावेज और तयशुदा फीस भी जमा करनी होती है।

डॉक्यूमेंट्स की वेरिफिकेशन प्रक्रिया के बाद, रजिस्ट्रार गवाहों को इंटरव्यू के लिए बुला सकता है। यदि सभी दस्तावेज सही पाए जाते हैं, तो कुछ दिनों में मैरिज सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है।

10 साल बाद विवाह प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के फायदे

मैरिज सर्टिफिकेट- Marriage Certificate केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह कई व्यावहारिक लाभ भी प्रदान करता है। मैरिज सर्टिफिकेट, विवाह का आधिकारिक प्रमाण होता है, जो कोर्ट और अन्य सरकारी संस्थाओं में मान्यता प्राप्त है। शादी के बाद महिलाओं के लिए सरनेम बदलने या पासपोर्ट अपडेट कराने जैसे कार्यों के लिए यह जरूरी है।

यह जीवनसाथी की संपत्ति, पैतृक संपत्ति में अधिकार और अन्य वित्तीय लाभों के लिए आवश्यक प्रमाण प्रदान करता है। बीमा पॉलिसी, बैंकिंग सर्विसेज में नॉमिनी जोड़ने, सोशल सिक्योरिटी बेनिफिट्स, पेंशन और रिटायरमेंट फंड्स में भी इसकी आवश्यकता होती है। इसके अलावा, तलाक, एलिमनी या बच्चे की कस्टडी से जुड़े मामलों में भी विवाह प्रमाण-पत्र एक अहम कानूनी दस्तावेज बनता है।

शादी के 10 साल बाद रजिस्ट्रेशन कराने में आने वाली चुनौतियां

यदि आप शादी के 10 साल बाद मैरिज सर्टिफिकेट के लिए आवेदन कर रहे हैं, तो आपको कुछ अतिरिक्त सावधानियां बरतनी होंगी। गवाहों के बयानों, हलफनामे और अन्य वैध दस्तावेजों के माध्यम से शादी को साबित करना पड़ सकता है।

अगर शादी के समय मौजूद गवाह अब जीवित नहीं हैं या उपलब्ध नहीं हैं, तो प्रक्रिया थोड़ी जटिल हो सकती है। कुछ राज्यों में देरी से रजिस्ट्रेशन कराने पर लेट फीस वसूल की जाती है। इसके अलावा, कुछ मामलों में आपको जिला मजिस्ट्रेट से विशेष अनुमति भी लेनी पड़ सकती है।

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